देह के समीकरण देह के समीकरण
जीने को इस अनोखी दुनिया में, फिर से अपने कदम बढ़ा लेते हैं। जीने को इस अनोखी दुनिया में, फिर से अपने कदम बढ़ा लेते हैं।
कहने को न कुछ क्या सितम ढहे कैसे हमारे रिश्ते अनकहे ? कहने को न कुछ क्या सितम ढहे कैसे हमारे रिश्ते अनकहे ?
बदली में छिपा चॉद भी शरमाया होगा। बदली में छिपा चॉद भी शरमाया होगा।
किस रिश्ते को किसके साथ जोड़ कर किस रिश्ते को घटा कर क्या मिल गया किस रिश्ते को किसके साथ जोड़ कर किस रिश्ते को घटा कर क्या मिल गया
आज की नारी की सोच को दिखाती सशक्त रचना। आज की नारी की सोच को दिखाती सशक्त रचना।